हम गुनाहों की गली में चस्प हैं,
आप क्यों हैं रंज? हैं तो झेलिये ।
है नसीहत आपकी बेशक़ भली,
उसके मानी कुछ न औरों के लिये ।
नालियों में हम पड़े हँसते तो हैं,
उम्र भर रोते जिये तो क्या जिये ।
जिसने भी ज़द्दोज़हद की उम्र भर,
आज ख़ुद ही तोलिये, क्या कर लिये ।
रौशनी नंगा दिखाये ग़र हमें,
फ़ायदे क्या हैं जलाने के दिये ।
ज़र्द हो वे टहनियों से गिर गये,
सर्द जज़्वातों से यूँ मत खेलिये ।
--------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें